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2025-07-194 Minutes readFood

पहाड़ों का 'सुपरफूड' झंगोरा

जानिए कैसे हिमालय का यह 'गोल्डन ग्रेन' (Barnyard Millet) आपकी प्लेट और लाइफस्टाइल दोनों को बदल सकता है।

Char Dham Temple Complex in Uttarakhand Himalayas

पहाड़ों का 'गोल्डन ग्रेन': झंगोरा (Barnyard Millet) - स्वाद और सेहत का संगम

उत्तराखंड के पहाड़ों में उगने वाला झंगोरा (Jhangora) केवल एक अनाज नहीं, बल्कि वहां की संस्कृति और सेहत का आधार है। इसे अंग्रेजी में Barnyard Millet कहते हैं। सावन के महीने में और व्रत-उपवास के दौरान इसे 'समा के चावल' के रूप में पूरे भारत में खाया जाता है, लेकिन पहाड़ों में यह मुख्य भोजन (staple food) रहा है। आइए विस्तार से जानते हैं इस सुपरफूड के बारे में।

झंगोरा: हिमालय का प्राचीन सुपरफूड (एक परिचय)

झंगोरा, जिसे वैज्ञानिक रूप से Echinochloa frumentacea कहा जाता है, उत्तराखंड और हिमालयी क्षेत्रों की सबसे पुरानी फसलों में से एक है। जहां गेहूं और चावल को उगाने के लिए बहुत अधिक पानी और उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता होती है, वहीं झंगोरा सबसे कठिन परिस्थितियों में भी पनप सकता है। यह समुद्र तल से काफी ऊंचाई पर, कम पानी और बिना किसी रसायनिक खाद के उगता है, जो इसे प्राकृतिक रूप से 'ऑर्गेनिक' बनाता है।


आजकल पूरी दुनिया में मिलेट्स (Millets) की चर्चा हो रही है, लेकिन पहाड़ के लोग सदियों से इसके महत्व को जानते हैं। यह अनाज दिखने में बहुत छोटा, सफेद या हल्के पीले रंग का होता है और स्वाद में चावल जैसा ही लगता है, लेकिन पोषण के मामले में यह चावल से कई गुना आगे है। यह ग्लूटेन-फ्री (Gluten-free) होता है, जिसका मतलब है कि जिन लोगों को गेहूं से एलर्जी है या जो अपने आहार में हल्कापन चाहते हैं, उनके लिए यह एक बेहतरीन विकल्प है। इसे 'गरीबों का भोजन' माना जाता था, लेकिन आज इसकी न्यूट्रिशनल वैल्यू के कारण इसे 'अमीरों की पसंद' और एक 'सुपरफूड' का दर्जा मिल गया है। यह न केवल भूख मिटाता है, बल्कि शरीर को वह ऊर्जा देता है जो पहाड़ी जीवनशैली के लिए जरूरी है।

सेहत का खजाना: डायबिटीज और पाचन के लिए संजीवनी

अगर हम स्वास्थ्य के नजरिए से देखें, तो झंगोरा किसी औषधि से कम नहीं है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में मोटापा और डायबिटीज (मधुमेह) सबसे बड़ी समस्याएं बनकर उभरी हैं। झंगोरा का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) चावल और गेहूं की तुलना में काफी कम होता है। इसका अर्थ है कि इसे खाने के बाद शरीर में ब्लड शुगर का स्तर एकदम से नहीं बढ़ता, बल्कि धीरे-धीरे ऊर्जा मिलती रहती है। यही कारण है कि यह डायबिटीज के मरीजों के लिए एक आदर्श भोजन माना जाता है।


इसके अलावा, झंगोरा में फाइबर (Fiber) की मात्रा बहुत अधिक होती है। हाई फाइबर होने के कारण यह पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करता है। फाइबर पेट को लंबे समय तक भरा रखता है, जिससे बार-बार भूख नहीं लगती और वजन घटाने में मदद मिलती है। इसमें आयरन और कैल्शियम भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो हड्डियों की मजबूती और शरीर में खून की कमी (एनीमिया) को दूर करने के लिए जरूरी है। जो लोग वीगन (Vegan) डाइट फॉलो करते हैं या दूध नहीं पीते, उनके लिए भी यह कैल्शियम का एक अच्छा स्रोत हो सकता है।

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