Whispers of Shiva in the Hills – श्रावण शिवरात्रि स्पेशल
पौड़ी गढ़वाल स्थित ओडली महादेव धाम की पावन यात्रा।
ओडली महादेव की दैवीय आभा।
पहाड़ों की शांत हवा में एक अजब सी बात है—जब भी श्रावण आता है, लगता है जैसे हर पेड़, हर पत्ता, हर घाटी शिव का नाम फुसफुसा रही हो। सुबह की ठंडी बयार में मिलती धूप, दूर कहीं मंदिर की धीमी घंटियाँ, और धारों का मधुर स्वर… सब मिलकर एक ऐसा माहौल बनाते हैं जहाँ मन अपने आप शिव की ओर खिंच जाता है। श्रावण शिवरात्रि के दिन तो यह भावना और भी गहरी हो जाती है। ऐसा लगता है मानो पूरा पहाड़ जागकर भक्तों को बुला रहा हो—“आ जाओ, आज भोलेनाथ की गोद हमेशा से ज़्यादा करीब है।” देवभूमि उत्तराखंड में लोग इस दिन सिर्फ पूजा नहीं करते, वे अपने मन की उलझनें भी शिव के चरणों में रख आते हैं। यहीं वजह है कि पहाड़ों में श्रावण शिवरात्रि केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि आत्मा को हल्का कर देने वाला अनुभव है। लोग दूर–दूर से पदयात्रा करते हैं, कांवड़ लाते हैं, किसी पत्थर पर बैठकर ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप करते हैं और अपने भीतर की सारी थकान एक साँस में बाहर छोड़ देते हैं।
ओडली महादेव मन्दिर का इतिहास
सन् 1905 से 1910ई0 के दरमयान डूंगरी गाँव के निवासीयों द्वारा इस “स्थापित सिद्ध शिवलिंग” को अपने “घन्डायाल देवता” के मन्दिर से हटाकर ओडली गाँव कि भूमि में दो नदियों के संगम के समीप एक पिपल के वृक्ष के निचे रख दिया गया। धिरे-धिरे उस “सिद्ध शिवलिंग” को उपर से ढकने लिए गाँव वालों द्वारा एक 3-4 फिट का छोटा सा मन्दिर बना दिया गया। सन् 1925 में डूंगरी गाँव के ही श्री आलम सिहं बिष्टजी नें वहां पर पहला बड़ा सांड चड़ाया था जिसको श्री जीत सिंह जी जो कि थापली गाँव (पैठाणी) के थे, के द्वारा बनाया गया था तथा दूसरा छोटा सांड नैणगड़ गाँव के श्री सते सिहं जी द्वारा चड़ाया गया था।
कैसे पहुँचे और कब जाएँ
मंदिर के पास पहुँचते ही आपको सड़क से ही भगवान शिव की विशाल और भव्य मूर्ति के दर्शन हो जाते हैं, जो देखते ही मन में श्रद्धा भर देती है। वहाँ से आपको पैदल चलना होता है, और कुछ ही मिनटों में आप मंदिर परिसर में पहुँच जाते हैं।
यहाँ आने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर माना जाता है, जब मौसम साफ, ठंडा और यात्रा के लिए आरामदायक रहता है। वहीं श्रावण शिवरात्रि और महाशिवरात्रि पर यहाँ विशेष भीड़ रहती है, और उस समय की आध्यात्मिक ऊर्जा पूरे परिसर में महसूस होती है।
"SIMDI" से जुड़ा ओडली महादेव का सफ़र।
SIMDI का उद्देश्य सिर्फ products पहुँचाना नहीं, बल्कि पहाड़, लोगों और यात्रियों के बीच एक सेतु बनना है।
जब भी कोई यात्री महादेव के दर्शन के लिए आता है, उन्हें अक्सर रास्तों, पहुँच और स्थानीय सहायता की सही जानकारी नहीं मिलती।
इसी कमी को समझते हुए SIMDI ने यहाँ की स्थानीय कम्युनिटी से मिलकर एक छोटा-सा लेकिन असरदार प्रयास शुरू किया है :
स्थानीय लोगों से जुड़कर उनकी जानकारी, उनके अनुभव और उनके मार्गदर्शन को यात्रियों तक पहुँचाना।
लोगों की रोज़गार संभावनाओं को बढ़ाने के लिए किफ़ायती cab/jeep rides उपलब्ध करवाना, ताकि गाँव के ड्राइवरों को सीधा लाभ मिले।
आने वाले भक्तों को साफ़, सुरक्षित और आसान यात्रा अनुभव दिलाना—बिना किसी भ्रम, बिना किसी परेशानी।
